त्‍वचा की उपेक्षा बंद करें, जागरूकता फैलाने आ रहा है त्‍वचा रथ

त्‍वचा की उपेक्षा बंद करें, जागरूकता फैलाने आ रहा है त्‍वचा रथ

सेहतराग टीम

त्वचा चिकित्सकों के दुनिया के सबसे बड़े संगठन तथा भारत के सबसे बड़े आधिकारिक संगठन - इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स वेनेरोलॉजिस्ट्स एंड लेप्रोलॉजिस्ट्स (आईएडीवीएल) ने देश में त्‍वचा स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर जागरूकता फैलाने को कमर कस ली है और इस दिशा में शुक्रवार को एक बड़ी पहल की गई। एसोसिएशन ने देश भर में अपनी तरह की पहली यात्रा – ‘आईएडीवीएल स्किन सफर’ का आयोजन किया है और इसके तहत शुक्रवार को स्किन सफर रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

‘स्वच्छ त्वचा स्वस्थ भारत’ के आदर्श वाक्य के साथ भारत में त्वचा स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने करने के लिए देश के 18 राज्यों में 60 से अधिक दिनों में 12,000 किलोमीटर की यह यात्रा पूरी की जाएगी। यह रथ दिल्ली- गुरुग्राम- करनाल- सोनीपत- मुंबई- पुणे- गोवा- बैंगलोर- चेन्नई- हैदराबाद- कोलकाता- गुवाहाटी- पटना- लखनऊ- ग्वालियर- आगरा- नोएडा जैसे क्षेत्रों से गुजरकर लोगों को त्‍वचा रोगों के बारे में पूरी जानकारी मुहैया कराएगा। इस पूरी पहल का उद्देश्‍य भारत को जागरूक करना है और कुष्ठ रोग, फंगल इंफेक्‍शन और सफेद दाग जैसी त्वचा और बाल की समस्याओं के बारे में मिथकों और तथ्यों से अवगत कराना है।

रथ को हरी झंडी दिखाने से पहले दिल्‍ली के प्रेस क्‍लब ऑफ इंडिया में एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें एसोसिएशन के अधिकारियों ने इस यात्रा की जरूरत के बारे में मीडिया को जानकारी दी। इस अवसर पर सर गंगा राम हॉस्पिटल के त्‍वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित बत्रा ने कहा, ‘लोग अक्सर अपने निजी उद्देश्यों के लिए होने वाली राजनीतिक दलों की ‘यात्रा’ के बारे में सुनते रहते हैं। लेकिन यहां स्किन सफर रथ एक महत्वाकांक्षी गतिविधि है जो लगभग 12,000 किलोमीटर की दूरी तय कर त्वचा के स्वास्थ्य के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करेगी। उन्‍होंने कहा कि लोगों को यह समझना जरूरी है कि योग्य त्वचा विशेषज्ञ किसी भी त्वचा की समस्या के समाधान के लिए सही व्यक्ति है।

उन्‍होंने बताया कि एसोसिएशन ने इस कार्यक्रम को ऐसे तैयार किया है कि ये रथ जिस भी गांव-कस्‍बे या शहर में पड़ाव डालेगा वहां पर आईएडीवीएल के सदस्‍य कुछ त्‍वचा रोग विशेषज्ञ और उनकी टीम भी पहुंचेगी और लोगों को त्‍वचा से संबंधित बीमारियों के बारे में बताएगी। इसके लिए रथ पर एलईडी स्क्रीन लगा होगा जिसपर लोगों को उनकी भाषा में शैक्षिक वृत्तचित्र और नुक्कड़ नाटक दिखाया जाएगा। लोगों को मुंहासे, फंगल संक्रमण, कुष्ठ रोग, विटिलिगो और त्वचा की अन्य समस्याओं के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसके लिए कई भाषाओं में प्रचार सामग्री तैयार की गई है।

आईएडीवीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. मुकेश गिरधर ने इस मौके पर कहा, ‘ल्यूकोडर्मा के सामान्य नाम से जानी जाने वाली विटिलिगो त्वचा की बीमारी है जिसमें आपके शरीर कीं स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। विटिलिगो दुनिया भर में लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत लोगों को प्रभावित करती है लेकिन भारत में इसका प्रसार काफी अधिक 3 प्रतिशत है और यहां इस बीमारी को लेकर कई मिथ भी प्रचलित हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है, लेकिन विटिलिगो से प्रभावित करीब आधे लोगों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है और करीब 95 प्रतिशत लोगों में यह 40 वर्ष से पहले होती है। यह दोनों लिंग, सभी नस्लों और सभी जातियों को प्रभावित करती है। विभिन्न लोगों में रोग की प्रवृत्ति अलग- अलग होती है। विटिलिगो से संबंधित कई मिथकों के कारण इससे प्रभावित लोगों का अक्सर बहिष्कार किया जाता है। विटिलिगो व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं करता है। यह सामाजिक कलंक है जिसे दूर करने की आवश्यकता है और इस संबंध में जागरूकता जरूरी है।’

इसी प्रकार की स्थिति कुष्ठ रोग की भी है। भारत वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) चला रहा है। कुष्ठ रोग हो जाने के बाद लोगों को समाज से बाहर कर दिया जाता है, नौकरी से निकाल दिया जाता है और कभी-कभी तो उन्हें मकान मिलने में भी परेशानी हो सकते हैं। आईएडीवीएल एनएलईपी में आधिकारिक भागीदार है।

कुष्ठ रोग पर उपलब्ध आंकड़ों के बारे में बात करते हुए आईएडीवीएल के संयुक्त सचिव डॉ. दिनेश कुमार देवराज ने कहा, ‘लेप्रोसी केस डिटेक्शन कम्पेन (एलसीडीसी) के कारण भारत में वर्तमान में प्रति 10 हजार व्यक्ति में से 0.66 व्यक्ति को कुष्ठ रोग है।

कार्यक्रम में सभी डॉक्‍टरों ने त्‍वचा को लेकर लोगों में मौजूद उपेक्षा भाव का भी जिक्र‍ किया। तकरीबन सभी डॉक्‍टरों ने बाजार में त्‍वचा से संबंधित क्रीम और उसमें स्‍टेरायड की मौजूदगी की चर्चा की और कहा कि किसी भी व्‍यक्ति को अपने मन से कोई भी क्रीम खरीद कर त्‍वचा पर नहीं लगानी चाहिए क्‍योंकि स्‍टेरायड वाली क्रीम त्‍वचा को गंभीर नुकसान पहुंचाती है और इसके कारण त्‍वचा को होने वाले नुकसान को कई बार ठीक करना नामुमकिन होता है।

डॉ. दिनेश ने इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए कहा, ‘इस रथयात्रा के दौरान लोगों को त्वचा पर लगाई जाने वाली स्टेरॉयड ये युक्त गोरेपन की क्रीम और त्वचा तेल पर पाबंदी लगाने के मामले में हुई नई प्रगति तथा उसके बाद के प्रभावों के बारे में भी चर्चा की जाएगी। लोगों को बताया जाएगा कि एक नवम्बर से कोर्टिकोस्टेरॉयड से युक्त सभी क्रीमें केवल डाक्टरी पर्चे के आधार पर ही मिलनी चाहिए क्‍योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 12 अप्रैल को अपनी सुनवाई में यह निर्देश दिया है।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान के त्‍वचा रोग विभाग के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर वी.के. शर्मा, दिल्ली राज्य आईएडीवीएल की अध्यक्ष डॉ. रश्मि सरकार और सर गंगा राम अस्पताल के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के माननीय सचिव डॉ. एस. ओ. बायोत्रा पर उपस्थित थे।

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